श्रीकांत तालागेरी के लेख Misuse of Press Freedom: What Will Be Allowed and What will be Punishable in India का हिन्दी अनुवाद

 श्रीकांत तालागेरी के लेख Misuse of Press Freedom: What Will Be Allowed and What will be Punishable in India का अनाधिकारिक हिन्दी अनुवाद

मूल अंग्रेज़ी लेख (०७ अप्रैल २०२३ को प्रकाशित) के लिए उपरोक्त अंग्रेज़ी शीर्षक पर क्लिक करें। 


प्रेस स्वतंत्रता का दुरुपयोग:
भारत में किस बात के लिए अनुमति होगी और किसके लिए दण्ड 


श्रीकांत जी. तालागेरी


स्वराज्य पत्रिका भाजपा-समर्थक इंटरनेट पत्रिकाओं में से एक है।
 
इसके नवीनतम अंक में पत्रिका ने बड़े गर्व से एक लेख छापा है, जिसका शीर्षक है: "सूचना एवम् प्रौद्योगिकी मंत्रालय का नया नियम: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर केंद्र सरकार से संबंधित फ़र्ज़ी ख़बरों (Fake News) का मुकाबला करने के लिए पीआईबी को सशक्त बनाने की ओर": ["IT Ministry's New Rule To Empower PIB To Counter Fake News Related To Central Government On Social Media Platforms"]


https://swarajyamag.com/tech/it-ministrys-new-rule-to-empower-pib-to-counter-fake-news-related-to-central-government-on-social-media-platforms



लेख के पहले दो पैराग्राफ इस प्रकार हैं: "इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने गुरुवार (६ अप्रैल) को नए नियम अधिसूचित किये जो पत्र सूचना कार्यालय [प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (PIB)] को केंद्र सरकार के बारे में किसी भी "फ़र्ज़ी" ख़बर की तथ्य-जांच (फ़ैक्ट चेक) करने तथा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से इसे हटाने की शक्तियां प्रदान करेंगे।

यदि वे नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो ये प्लेटफ़ॉर्म अपनी सुरक्षित आश्रय प्रतिरक्षा (safe harbour immunity) खो देंगे, जो उन्हें उपयोगकर्ताओं द्वारा उनके प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट की गई किसी भी आपत्तिजनक सामग्री के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रदान करती है। "



इन नई अधिसूचनाओं का सटीक गूढ़ार्थ अन्यत्र प्रकाशित एक लेख में दिया गया है:


https://www.msn.com/en-in/news/other/pib-can-now-flag-fake-news-on-govt-ask-fb-twitter-to-bin-it/ar-AA19yZ9V?ocid=Peregrine 

 

यह एक छोटा लेख है और इसे यहां पूर्ण रूप से पुन: प्रस्तुत किया जा सकता है:


"नई दिल्ली: सूचना एवम् प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गुरुवार को एक नया नियम अधिसूचित किया जो प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) को केंद्र सरकार के बारे में किसी भी "फ़र्ज़ी, या झूठी, या भ्रामक" जानकारी का फ़ैक्ट चेक करने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (यथा फेसबुक, ट्विटर और गूगल) से इन्हें हटवाने का अधिकार देगा। 

 

यदि कम्पनियाँ, पीआईबी फ़ैक्ट-चेक के आदेश का पालन करने से इनकार करती हैं, तो वे अपनी सुरक्षित आश्रय प्रतिरक्षा (safe harbour immunity) खो देंगी, जो उन्हें अपने प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं द्वारा पोस्ट की गई किसी भी अवैध या झूठी सामग्री के खिलाफ सुरक्षा की गारंटी देती है।

आईटी नियम २०२१ में संशोधन के रूप में प्रस्तावित किए जाने पर पूर्व में विवाद उत्पन्न करने वाले ये परिवर्तन, पीआईबी की आंतरिक फ़ैक्ट-चेक यूनिट को केंद्र सरकार के बारे में किसी भी "भ्रामक" या "फ़र्ज़ी जानकारी" पर निगरानी रखने की अनुमति देंगे। पूर्व में इस कदम की 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' के साथ-साथ 'द न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन' ने आलोचना की थी। इन संस्थाओं ने कहा था कि इस परिवर्तन से पीआईबी को निर्बाध  अधिकार प्राप्त होंगे, जिनकी परिणति "प्रेस सेंसरशिप" रूप में होगी।

 

आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ध्येय "मीडिया को सेंसर करना नहीं" है। “मैं यह भी जोड़ना चाहूँगा कि यदि मध्यस्थ प्लेटफ़ॉर्म (intermediaries) इस निष्कर्ष पर पहुँचें कि फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट गलत है, तो पीआईबी द्वारा चिह्नित सामग्री को हटाने के लिए उन पर कोई पाबन्दी नहीं है। इस स्थिति में वे अपनी सुरक्षित आश्रय प्रतिरक्षा (safe harbour immunity) खो देंगे, और मामले को कानून की अदालत में ले जाया जाएगा।"




तो क्या ये सही है या गलत? प्रेस की स्वतंत्रता पर इस तरह का नियंत्रण (या इसके विरोधी दृष्टिकोण से: प्रेस की स्वतंत्रता के दुरुपयोग पर नियंत्रण ) सही है या गलत, इस बारे में भाजपा समर्थक और भाजपा विरोधी दोनों पक्षों की ओर से प्रचण्ड तर्क होंगे। मैं इस मामले के सही और गलत में जाने की इच्छा नहीं रखूँगा। मेरी चिन्ता इनसे अलग है:  लोकतंत्र या प्रेस की स्वतंत्रता या प्रेस की स्वतंत्रता के दुरुपयोग जैसे सवालों से बिल्कुल इतर मुझे लगता है कि (अनुवादक: इन मामलों में) दोनों पक्ष अपनी लड़ाई लड़ने में पूरी तरह सक्षम हैं।




मेरी चिन्ता इस सवाल से जुड़ी है कि भारत में किस बात के लिए अनुमति होगी और किसके लिए दण्ड (आईटी, ईडी, सीबीआई और अन्य अनाम संस्थानों के बाद भाजपा सरकार के हाथों का यह नवीनतम हथियार जब पूर्ण रूपेण संचालित हो जाएगा तब)।



पहली बात तो, भारत में कोई भी (या किसी भी मीडिया प्लेटफॉर्म पर) हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के बारे में कुछ भी कहने या लिखने के लिए हमेशा स्वतंत्र रहा है - कितना भी झूठ, मिथ्या निरूपण, कलंक और इरादतन मानहानि -- इन सबकी स्वतंत्रता सदा से ही प्रदत्त रही है इस अधिसूचना के लागू होने के बाद  भी, भारत में कोई भी (या किसी भी मीडिया प्लेटफॉर्म पर) हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के बारे में कुछ भी कहने या लिखने के लिए स्वतंत्र होगा ─ कितना भी झूठ, मिथ्या निरूपण, कलंक और इरादतन मानहानि भी स्वतंत्र रूप से जारी रहेंगे। साथ ही साथ यह भी एक विचित्र दोहरे-मानदण्डों से मण्डित सच्चाई है कि इसी भारत में कोई भी इस्लाम या ईसाईयत के बारे में (अनुवादक: झूठ, मिथ्या निरूपण, कलंक और इरादतन मानहानि तो दूर रहे) केवल सच तक बोलने के लिए स्वतंत्र है या नहीं, यह जगज़ाहिर है। 



(अनुवादक: इस दोहरी सच्चाई का) विरोध करने वाले हिंदुओं को हमेशा कहा जाता है कि सरकार इन विषयों के बारे में कुछ नहीं कर सकती है - (१) अंततः यह एक लोकतंत्र है, (२) सरकार अपने राष्ट्रीय, और विशेष रूप से, अपने अंतरराष्ट्रीय आलोचकों को (जो सरकार के हर कदम पर पैनी निगाह रखे हैं) रुष्ट करने के लिए कुछ भी नहीं कर सकती है, और (३) सरकार के पास वैसे भी अन्य महत्वपूर्ण काम हैं ─ और उन हिंदुओं को जो इस स्थिति को पसंद नहीं करते हैं, उन्हें इस समर को अपने दम पर लड़ना चाहिए (और नूपुर शर्मा और अनगिनत अन्य लोगों की तरह परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए) या इस दोहरे-मानदण्डों से मण्डित सच्चाई के साथ समझौता करने की आदत डाल लेनी चाहिए। 

 

इन नये नियमों के बाद से, सरकार निश्चित रूप से लोगों (या मीडिया प्लेटफॉर्मों) को उन बातों को व्यक्त करने पर दण्डित करने में सक्षम होगी जो भाजपा नहीं चाहती कि केंद्र सरकार के बारे में व्यक्त की जायें ─ लोकतंत्र, आलोचक और अन्य महत्वपूर्ण चीज़ें जायें भाड़ में!

 

एक मशहूर मुस्लिम कहावत है: "बा-खुदा दीवाना बाशो, बा-मोहम्मद होशियार (आप ख़ुदा के बारे में जो कहना चाहते हैं, कहें; किंतु मोहम्मद के बारे में बोलने पर ज़बान पर लगाम रखें)"।

 

इसका राजनीतिक हिंदुत्व संस्करण कुछ यूँ होगा: " बा-हिंदू-हिंदुत्व दीवाना बाशो, बा-मोदी-बीजेपी होशियार (आप हिंदू या हिंदुत्व के बारे में जो कहना चाहते हैं, कहें; किंतु मोदी या भाजपा के बारे में बोलने पर ज़बान पर लगाम रखें )" 


आमीन 

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