श्रीकांत तालागेरी के लेख "Hindus, Eat Beef and Atone For Your Sins: the New Call of the Parivar" का हिन्दी अनुवाद
श्रीकांत तालागेरी के लेख Hindus, Eat Beef and Atone For Your Sins: the New Call of the Parivar का अनाधिकारिक हिन्दी अनुवाद। मूल अंग्रेज़ी लेख (१० सितंबर २०२३ को प्रकाशित) के लिए उपरोक्त अंग्रेज़ी शीर्षक पर क्लिक करें।
हिन्दूओ, गोमांस खाओ और अपने पुराने पापों का प्रायश्चित करो: परिवार का नया फ़रमान
श्रीकांत जी. तालागेरी
भाजपा परिवार -- जैसा मैंने पहले भी कई बार इंगित किया है, जिसे लोग गलती से संघ परिवार की संज्ञा देते हैं, उसके पीछे दरअसल सारी कठपुतलियों को चलाने वाली भाजपा ही है, अपने राजनीतिक सत्ता के एजेंडे के साथ -- ने अपने भक्तों के लिए अपना नवीनतम फ़तवा जारी किया है, उस व्यक्ति के मुख से जिसका सिक्का चलता है और जिसके इशारों पर लाखों स्वयंसेवक नाचते हैं" "गोमांस खाना सीखो और जानवरों की तरह बर्ताव में जीने की आदत भी डालो: तुम इसी के लायक़ हो।"
https://indianexpress.com/article/political-pulse/rss-chief-mohan-bhagwat-quotas-8928819/
ऐसे समय में जब द्रमुक के उदयनिधि स्टालिन ने ब्रेकिंग इंडिया शक्तियों द्वारा आयोजित एक सेमिनार में, जिसका उद्देश्य ही "सनातन धर्म" का उन्मूलन था (हिंदुत्व को छिन्न-भिन्न करने पर अमेरिका में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की तर्ज पर), "सनातन धर्म" को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया है, ("परिवार" का) यह फ़तवा ब्रेकिंग इंडिया शक्तियों के लिए संजीवनी की तरह है। संयोगवश, इसी सेमिनार में एक वक्ता ने मंदिरों में प्रतिष्ठित हिन्दू मूर्तियों को "गंदी गुड़ियाएँ" कहकर वर्णित किया (हिन्दू मंदिरों को चर्चों व मस्जिदों की तुलना में तिरस्कृत करते हुए) -- और ग़ुस्से की एक लहर ने हिंदुओं के किंचित पूर्णरूपेण जागृत (ढकोसलावादी "जागरूक" या "वोक" नहीं) समूहों को झकझोर दिया। ध्यान रहे कि "सनातन" शब्द हिन्दुइज्म नाम से मुख्यधारा में संबोधित इकाई के लिए ही एक अधिक संस्कृत-आधारित और अधिक शास्त्रोन्मुखी नाम है। इस फ़तवे ने उन सभी तथ्यों, अभिलेखों और तर्कों पर झाड़ू फेर दिया जो दर्शाते हैं कि ईसाइयत और इस्लाम में बुराइयों के गगनचुंबी पहाड़ों की तुलना में हिंदू धर्म में सभी बुराइयां राई के दाने जैसी हैं। जे. साई दीपक जैसे लोग जो हिंदू विरोधी प्रचार के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं और सच्चाई को सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें मूर्ख करार दिया जाने लगा:
https://youtu.be/Eg9M1Oz9NJw?si=O_saUY8GtEHHdITk
निश्चित रूप से, हिंदुत्व का अर्थ हिंदू धर्म के कटु पहलुओं की अनदेखी करना, उन्हें उचित ठहराना या उनका महिमामंडन करना नहीं है। मैं स्वयं हमेशा हिंदू धर्म सहित सभी धर्मों के सभी धर्मग्रंथों और पुस्तकों (और इतिहास) को खुली और सत्यानिष्ठ दृष्टि से देखने का समर्थक रहा हूं - मेरी विभिन्न किताबें और लेख देखें, जैसे "महाभारत में कर्ण और युधिष्ठिर" या डॉ. अम्बेडकर पर मेरे लेख या आदिवासियों पर (अंडमानी जैसी पृथक जनजातियों सहित)। [अनुवादक: कर्ण तथा युधिष्ठिर पर लेख पठनीय है, तथा कई महत्वपूर्ण तथ्यों के साथ अमी गणात्रा द्वारा कर्ण के चरित्र-चित्रण का विश्लेषण करता है]। परंतु क़िले के भीतर से घर के भेदी "परिवार" द्वारा किए गए ये आक्रमण (जैसे उनका नवीनतम फ़तवा) और कुछ नहीं बल्कि नए वोट-बैंकों से अधिक से अधिक वोटों के लालच पर आधारित हैं (यह जानते हुए कि हिंदुओं के बीच स्थायी बन चुके "भक्त" वोट बैंक की नींव को कोई भी हिला नहीं सकता है, जो {"परिवार" को} वोट देना जारी रखेंगे, भले ही परिवार हिंदू कार्यकर्ताओं को यातना देने और गैस-चैम्बर द्वारा मौत के घाट उतारने के लिए कॉन्संट्रेशन कैम्प और गैस-चैंबर खोल दे) और इस आशा पर भी कि ब्रेकिंग इंडिया शक्तियों के विभिन्न वर्गों से "परिवार" को अनुमोदन-प्रमाणपत्र मिले। इस प्रक्रिया में, किसी भी मुद्दे पर हिन्दुइज्म के लिए लड़ने वाले सभी लोग छला हुआ महसूस करते हैं!
मैंने तय कर लिया था कि राजनीतिक मुद्दों पर और कुछ नहीं लिखूंगा, लेकिन जब अपनी जान जोखिम में डालकर हिंदू मुद्दों के लिए लड़ने वालों का मनोबल तोड़ने के ऐसे ज़बरदस्त प्रयास किए जाते हैं, तो चुप रहना मुश्किल होता है। मैं केवल यह आशा कर सकता हूं कि सरकार (2024 के चुनावों के बाद, ज़ाहिर तौर पर) एक विधेयक न पारित कर दे, जिसके तहत स्कूली बच्चों के लिए सभी सरकारी मध्याह्न भोजन-योजनाओं (mid day meal schemes) में गोमांस परोसना अनिवार्य बना दिया जाय और हिंदुओं के लिए सभी हिंदू मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में गोमांस को अनिवार्य सामग्री बना दिया जाय!
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